सोमवार, 9 नवंबर 2009

शर्म-शर्म

महाराष्ट्र की विधान-सभा में जो आज राज ठाकरे और म.न.से ने किया ,शर्म की बात है ।
खैर किसी ने कहा है ,कुत्ते अपने मोहल्ले में ही शेर होते है ।भारतीय संविधान की इज्ज़त करना और रखना हर भारतीय का फ़र्ज़ है । हिन्दी देश की मातृभाषा है और देश को एक सूत्र में पिरोने का काम करती है ।
जय हिंद जय हिन्दी

गुरुवार, 5 नवंबर 2009

सिखों का नरसंहार -२५ वर्ष

१९८४ में श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद सिखों का नरसंहार हिंदुस्तान के इतिहास में एक ऐसा अध्याय है जिसके कारण हर सच्चे भारतवासी की आत्मा हमेशा उसे ही कचोटती रहेगी क्योंकि तब भी वो मजबूर था देखने के लिए - चंद राजनेताओं के द्वारा प्रायोजित एवं नेतृत्व की हुई गुंडागर्दी , बर्बरता एवं आज भी ये देखने के लिए की वो सत्ता के गलियारे में आजाद, बेशर्मों की तरह घूम रहे हैं।
आम भारतवासी चाहे वो किसी भी धर्म या सम्प्रदाए से सम्बंधित होगा वो सच्चे मन से यही चाहेगा की उन असामाजिक तत्वों को सरेआम चौराहे पर गोली मार दी जाए जिन्हों ने अपने ही भाईयों के ऊपर इतना ज़ुल्म किया ।
मेरे माता पिता विभाजन के वक्त पाकिस्तान से आए थे, मैं भी एक mona punjabi हूँ । पहले हमारे gharon में बड़ा बेटा sikh बनाया जाता था- ये सोच कर की इसे देश, kaum की raksha के लिए समर्पित किया । sharm आती है की हमारे राजनेताओं ने हमारे ही bhayiyon को हमसे अलग करने की saazish के tehet नारा दिया "हिंदू ,muslim, sikh, isaai , apas में हैं भाई भाई "। are bhai !ये to देखा होता की इतिहास क्या है- sikh to poojniya shri guru गोविन्द singh जी sahab ने हिंदू kaum की raksha के लिए inhi में से बनाई थी एक fauj, जो हमेशा देश, kaum की raksha के लिए एक deewar बन कर खड़ी रहती है, उसे ही उन्होंने इस naare में हिन्दुओं से अलग कर दिया और अपनी रही सही aukaat ८४ के dangon में दिखा दी।
एक बार ऐसे लोगों को अगर उन्हीं के दिखाए raston के hisaab से chauraahon पर सज़ा दे दी जाए, जो तरीका शायद ग़लत ही है, मगर इनके लिए ज़रूरी है - to आने वाला कल shayad समाज को सही disha दे दे , नही to हम सब की मौन swikriti to है ही - आने वाले एक barbar समाज के nirmaan के लिए।
dr minocha

sikkhon ka narsahar

१९८४ मेंश्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद सिखों का नर संहार हिंदुस्तान के इतिअस में एक ऐसा अदाह्याया है जिस के कारन हेर sa

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009

विकृत होती पंथनिरपेक्षता

श्री तरुण विजय द्वारा लिखित यह लेख दैनिक जागरण दिनांक १९ अक्टूबर २००९ ,न्यू दिल्ली एडिशन में प्रकाशित हुआ है । उन्होंने जम्मू कश्मीर में जारी आतंकवाद और श्रीमती आँचल के विषय में बहुत अच्छे एवं आँखें खोलने वाले अपने विचार प्रस्तुत किए हैं । शायद उनका लिखना सच ही है किभारतीय शासन और राजनीति में व्याप्त सेक्युलर विद्रूपता हिंदू हनन को ही अपनी पहचान बना बैठे हैं ।
उल्लेखनीय है की दुनिया में जहाँ भी मुस्लिम अल्प संख्यक होते हैं, वहा वे अपने लिए विशेष अधिकार और मज़हबी कानून आदि की मांग करते हैं,परंतु जहाँ वे बहुसंख्यक होते है ,वंहा गैर मुस्लिम समाज के लोगो के अधिकार समाप्त कर देते हैं और उनकी आस्था एवं जीवन शैली की स्वतंत्रता को कुचलदेते हैं ।
समय की पुकार है की देश की अखंडता को बनाये रखने के लिए जम्मू कश्मीर को दिए गए विशेष अधिकार समाप्त कर अन्य प्रदेशों की भांति समान संहिता लागू की जाए, और भी अच्छा ये होगा कि नासूर बन गए पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान से वापस ले लिया जाए और आतंकवाद के पर्यायवाची पाकिस्तान को हमेशा हमेशा के लिए नेस्तनाबूद कर दिया जाए।
मगर ये हमारा दुर्भाग्य है की हमारे नेताओं में न तो इच्छा है और ना ही इतनी शक्ति की वे देश में सही मायनों में पंथ निरपेक्षता स्थापित कर सकें और देश के अन्दर पनपते गद्दारों व बाहरी दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब दे सकें।
- डॉ. राकेश मिनोचा

शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

शादी की वर्षगाठ-मुबारक हो हमे

आज मेरी शादी की वर्षगाठ है ,१८ oct.,कौनसी -मत पूछिए याद नही, सुबह नहाते नहाते एक मजेदार चीज़ दिमाग में आई -एक शरीफ आदमी के दिल की आवाज -
शादी से पहले-तुम बिन जिंदगी adhuri है
शादी के बाद -तुम ने आ कर मेरी जिंदगी ही पूरी कर दी
aulaad होने बाद -इसे जिन्दगी कहते हैं ???

- dr rakesh minocha

दीपावली की शुभ कामनाएं

आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं ।
डॉ.राकेश मिनोचा

शनिवार, 3 अक्तूबर 2009

तुम हम में से नही हो

राहुल गांधी ने अपनी दादी वाला शिगूफा दुबारा शुरू क्या किया के सारे के सारे कांग्रेस वाले हाथ धो कर dalito के पीछे पड़ गए,गाँधी जयंती के shub अवसर पर पहुँच गए dalito के gavon में । कितना bhadda तरीका है किसी को mahsoos कराने का की तुम हम में से नही हो । हम यह ehsaan कर रहें हैं यहाँ आ कर ,खाना to वहां भी halvaiyon ने बनाया , rita bahuguna जी to एक कदम or आगे nikli , unhoneh puriyan भी अपने हाथ से बनाई
क्या एक दिन daliton की बस्ती में जाने से sachhai का पता चल सकता है , vo भी tab जब sara का sara सरकारी amla cheezon को polish कर के pahle से ही रखे ।
उन गरीबों को इनकी इस meharbani से सिर्फ़ एक वक्त की roti ज़रूर मिल गई , इस ahsaas के साथ की तुम आज भी daya के paatra हो , or कुछ नही ।
सच में to ये सब unhe आगे लाने के लिए नही बल्कि vote बैंक की गन्दी rajniti हैं ।
-dr minocha

बुधवार, 23 सितंबर 2009

आरक्षण-ईश्वरीय व्यवस्था पर एक प्रश्न चिन्ह

कहतेहैं ईश्वर इस सृष्टि का उत्त्पत्तिकर्ता एवं पालनकर्ता है, वो न्यायकर्ता भी है। वो इंसान को जब पैदा करता है तो किसी के साथ जात पात को ध्यान में रखकर भेद भाव नही करता। सभी धर्म शास्त्रों में भी लिखा है कि कोई जन्म से हिंदू, मुसलमान, क्षत्रिय, क्षुद्र, वैश्य, ब्रह्मण इत्यादि नही होता, ये तो हम इंसान ही उसे ये नाम दे देते हैं।

वो पैदा करने वाला हाथ, पैर,आँखें ,मस्तिष्क आदि अंग जात पात के हिसाब से नही बांटता, तभी तो कहा गया है की कर्म प्रधान है, जो जितना जिसे इस्तेमाल करता है, वो अंग उतना ही मज़बूत एवं तेज़ होता है।

अब मैं बात करना चाहूँगा आज के हमारे भारत की जहाँ आरक्षण के नाम पर कुछ लोगों को जबरदस्ती पंगु बनाया जा रहा है और बहुत से मेहनती, लायक लोगों को निराशा जनित कुंठा का शिकार। वोट बैंक की राजनीती के चक्कर में हमारे लायक नेता संविधान में आरक्षण के प्रावधान और उसे कैसे समय बद्ध तरीके से ख़त्म करना है, को भूलकर जान बूझकर अपनी नेतागिरी चमका रहें हैं। वो ये भी ज़रूर जानते हैं कि अब आरक्षण का फायदा पहले से लाभान्वित परिवार ही ज़्यादा उठा रहे हैं।

ये बन्दर बाँट, वोटों की राजनीती बंद करके गंभीरता पूर्वक देश के चलानेवालो को सोचना चाहिए कि काबिल व्यक्ति किसी भी जात पात का नही होता, वो देश की धरोहर होता है, उसे बढ़ावा मिलना ही चाहिए, न कि आरक्षण के कारण कुंठा ग्रस्त जीवन या आत्महत्या की मजबूरी।

आरक्षण से अच्छा हो अगर जो बच्चे किसी भी कारण वश पढने में असमर्थ हैं, सरकार उन्हें पढने की आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराये, न कि उन्हें आरक्षण के नाम पर जबरदस्ती आगे लाकर देश को पीछे ले जाए।

आरक्षण के नाम पर ये बँटवारा तो भगवान् की नियत पर भी शक पैदा करता है, जो उसे भी कदापि पसन्द नही होगा ।

- डॉ राकेश मिनोचा

रविवार, 20 सितंबर 2009

जनता सब जानती है

हमारे राजनीतिज्ञों को लगता है की सारी की सारी जनता बेवकूफ है, रोज़ नई नौटंकी, इकोनोमी क्लास में सफर फिर शीशे टूटना, क्या सारी जनता अंधी है?बंद होनी चाहिए ये बेवकूफियां। दिखावा ये की पैसा बचा रहें हैं मगर साथ में जो ताम-झाम चलता है, बाद में पागलों की तरह फोरेंसिक टीम रेलवे ट्रैक पर घूमती है, पुलिस का पूरा महकमा जांच में लग जाता है, उसमे तो खर्च होता ही नही!
मजेदार बात बताऊँ कि अब ये चालाक नेता(जबरदस्ती के) फिर पहले की तरह सफर करेंगे- सुरक्षा के नाम पर और इसके लिए भी जनता को जिम्मेदार ठहराया जाएगा, क्यों बन गई न जनता बेवकूफ?

डॉ मिनोचा

शनिवार, 19 सितंबर 2009

जनता सब जानती है

हमारे राजनितिज्ञों को लगता है की सारी की सारी जनता बेवकूफ है ,रोज़ नई नौटंकी, इकोनोमी क्लास में सफर, ट्रेन में सफर-फिर शीशे टूटना,क्या सारी जनता अंधी हैबंद होनी चाहिए बेवकूफियांदिखावा ये कि पैसा बचा रहें हैं मगर साथ जो ताम-jhaam चलता है ,बाद मैं पागलो की तरह फोरेंसिक टीम रेलवे ट्रैक पर घूमती हैं ,पुलिस का पूरा महकमा जांच में लग जाता हैं, उस मैं कितना खर्चा होता है

मजेदार बात बताऊँ अब ये चालाक नेता(जबरदस्ती के) फिर पहले की सफर करेंगे -सुरक्षा के नाम पर, और इस के लिए भी जनता को जिम्मेदार बनाया जाएगा ,क्यों की शायद हम सभी उन की नजरो mein bevkoof हैं


डॉ.मिनोचा

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

सावधान

मैं आज कल देख रहा हूँ की कुछ लोग बड़े ही सुनियोजित ढंग से अपने ब्लॉग या इन्टरनेट के दूसरे माध्यमों को istemal करते हुए इशरत जहाँ के मामले में आई -रिपोर्ट को अपने ढंग से प्रस्तुत करते हुए जनता को गुमराह एवं भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। वो जनता को ग़लत bahas में घसीट रहे हैं उनका मतलब देश में साम्प्रदायिक भावना bhadkana है। उनके इस काम से देश की police एवं मीडिया का hosla toot ta है, जो एक सच्चे bhartiya को कभी sweekar नही होगा। वो अपने आप को एक तरफ़ सच्चा bhartiya dikhaate हें, दूसरी तरफ़ वो यह dhindhora pitte हें की is देश में kaum के hisaab से unhe shaq की nigaahon से देखा जाता है मगर कभी यह नही सोचते की इस देश ने unhe क्या नही दिया। कभी sochiye dange किन mahollon में ज़्यादा होते हें ,asllah कहाँ ज़्यादा मिलता है, हिंदुस्तान pakistan के मैच के दौरान bawaal क्यों होता है, मेरा मतलब किसी का दिल dukhaana या किसी को चोट pahunchaana नही मगर यह sochiye की kashmiri pandit अपने ही देश में refugee की तरह रहने को क्यों मजबूर हैं । आप सब जानते होंगे की जब pakistan bana tab hamaare इस देश में कितने musalmaan भाई reh गए थे और आज pakistan से ज़्यादा musalmaan यहाँ हें , साथ ही pakistan में अल्प-sankhyakon का क्या हाल है यह किसी से छुपा नही।
अतः आप सब chhadm-धर्म nirpekshta एवं tuchh, gandi rajniti से ऊपर उठकर ऐसे लोगों को benakaab करें और इनकी ग़लत chaalon में phanskar देश को dobora tutne में sahayak न banein।
dr राकेश minocha

रविवार, 23 अगस्त 2009

मेरी फोटो

मेरी फोटो आज मेरी प्यारी बेटी सुर्यशी/मोना ने मेरे ब्लॉग पर डाली धन्यवाद,शुक्रिया,मेहरबानी

रविवार, 1 फ़रवरी 2009

INDIA/01.02.2009

Where are we now?
CORRUPTED LEADERS
DISHONESTY
DESH DROHI
SELF CENTERED
PSEUDO SMART
CONGRATULATIONS ,WE R INDIPENDENT.THINK ,BE UNITED AGAINST ABOVE MONSTERS & BUILD A NEW INDIA-WHERE NO ONE SHOULD SLEEP HUNGRY,EVERY ONE SHOULD HAVE ROOF &CLOTHING
JAI HIND