सरकार का रवैया निराशाजनक , कायरता पूर्ण है । ये हमारे नेताओ की दोगली चाल का नमूना है ,भगवान करे किसी रोज़ ये भी इसी तरह मारे जाये फर्क तो मगर फिर भी रहे गा ,जो यात्री अब मरे है वोह तो इनकी बेवकूफी से शहीद हो गए ,नेताओ की मौत को हम हँसते हुई कुत्ते की मौत कहते हुई याद करें गे । शर्म करो क्यों पैसे और गद्दी के लालच मैं कश्मीर,आतंकवाद के साथ साथ अब नक्स्लवाद को बढा रहे हो ,क्यों भारतमा के टुकड़े टुकड़े करने पर तुले हो .खैर मैं किसे समझा रहा हूँ आज के नेता तो अपनी माँ-बाप की औलाद नहीं ,ये भारतमा का दर्द क्या समझेगें।
डॉ.मिनोचा
रविवार, 30 मई 2010
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